नवरात्रि का पांचवां दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप को समर्पित होता है. शास्त्रों के अनुसार, कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. पांचवां नवरात्रि यानी पंचमी तिथि 21 अक्टूबर यानी आज है. मान्यता है कि स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करने से भक्त की सभी मुरादें पूरी हो जाती है. वहीं, यह भी मान्यता है कि स्कंदमाता संतान प्राप्ति का भी वरदान भक्तों को देती हैं.
जानिए कैसा है मां का स्वरूप-
भगवान कार्तिकेय (स्कंद कुमार) की मां यानी स्कंदमाता के स्वरूप में भगवान स्कंद 6 मुख वाले बालरूप में माता की गोद में विराजमान हैं. माता ने अपने दाएं ओर की भुजा से कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है. इसकी तरफ वाली निचली भुजा में माता ने कमल का फूल पकड़ा है. बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा और नीचे दूसरा श्वेत कमल का फूल है. स्कंदमाता का वाहन सिंह है. माता के चारों ओर सूर्य सदृश और अलौकिक तेजोमय मंडल है.
इस विधि से करें देवी स्कंदमाता की पूजा-
नवरात्रि के पांचवें दिन स्नान आदि के बाद माता स्कंदमाता का ध्यान करें. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें. इसके बाद सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त समस्त देवी-देवताओं की पूजा करें. अब माता की प्रतिमा या मूर्ति पर अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार और भोग अर्पित करें. स्कंदमाता की पूजा के दौरान सप्तशती का पाठ करना भी शुभ माना जाता है.
इस विधि से करें देवी स्कंदमाता की पूजा-
नवरात्रि के पांचवें दिन स्नान आदि के बाद माता स्कंदमाता का ध्यान करें. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें. इसके बाद सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त समस्त देवी-देवताओं की पूजा करें. अब माता की प्रतिमा या मूर्ति पर अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार और भोग अर्पित करें. स्कंदमाता की पूजा के दौरान सप्तशती का पाठ करना भी शुभ माना जाता है.
स्कंदमाता का पूजा मंत्र-
‘या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.’ मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा के दौरान मंत्र का जाप करने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्त को मनचाहा वरदान देती हैं.